नेपाल में क्यों भड़की हिंसा; बांग्लादेश में हसीना को बेदखल करने वाले खुद सीन से गायब ; क्या है 7 पड़ोसी देशों का हाल?
नेपाल में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद सेना ने पूरे देश का नियंत्रण संभाल लिया है। नेपाल की तरह ही भारत के अन्य पड़ोसी देश- बांग्लादेश श्रीलंका अफगानिस्तान और म्यांमार में भी इसी पैटर्न से तख्तापलट हुआ था। क्या आप जानते है कि भारत के सात पड़ोसी देशों के हालात कैसे हैं?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेपाल में सोशल मीडिया बैन को लेकर हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन का आज तीसरा दिन है। हिंसक प्रदर्शनों और सियासी उथल-पुथल के बाद सेना ने मंगलवार रात पूरे देश का कंट्रोल अपने हाथ में लेकर सख्त पाबंदियां और कर्फ्यू लागू कर दिया। फिर भी कई इलाकों में हिंसा जारी है। सेना ने आज 27 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया है।
नेपाल की सेना का कहना है कि उपद्रवी स्थिति का गलत फायदा उठाकर तोड़फोड़,अराजकता, लूटपाट, आगजनी और जान-माल को नुकसान पहुंचाने की साजिश को अंजाम दे रहे थे। पुलिस ने इन उपद्रवियों के पास से 33.7 लाख रुपये नकद, 23 बंदूकें, मैगजीन और गोलियों सहित 31 अलग-अलग तरह के हथियार भी जब्त किए गए हैं।
सवाल यह है कि नेपाल की तरह ही भारत के अन्य पड़ोसी देश- बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, म्यांमार और अफगानिस्तान में भी इसी पैटर्न से तख्तापलट हुआ था। क्या आप जानते है कि भारत के सात पड़ोसी देशों के हालात कैसे हैं? नहीं पता तो आइए हम आपको बताते हैं..
बांग्लादेश: हसीना को बेदखल करने वालों के क्या हाल?
पिछले साल 2024 में बांग्लादेश में हसीना सरकार का तख्तापलट भी नेपाल के घटनाक्रम की तरह ही हुआ था। इसके बाद नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया। इसके 90 दिनों बाद चुनाव होने थे, लेकिन मोहम्मद यूनुस पिछले 13 महीने से प्रधानमंत्री पद पर बने हुए हैं।
शुरुआत में कई आंदोलनकारी छात्रों को अंतरिम सरकार में शामिल किया गया था, लेकिन आठ प्रमुख छात्र नेताओं में से आधे से ज्यादा साइड लाइन कर दिए गए, जिसके बाद वे सरकार छोड़ चुके हैं। बांग्लादेश में अब सेना ही सत्ता चला रही है और आंदोलन करने वाले छात्र एकदम साइड लाइन हैं।
श्रीलंका: राजपक्षे की पार्टी साफ, जेल में विक्रमसिंघे
कोविड-19 के बाद साल 2022 में श्रीलंका आर्थिक संकट से जूझ रहा था। वहां तेल, गैस, दवाइयों और खाने-पीने की चीजों की भारी कमी हो गई। महंगाई 50 प्रतिशत से ऊपर चली गई। हालात ऐसे हो गए कि लोग घंटों लाइन में खड़े होकर पेट्रोल-डीजल ले रहे थे।
जुलाई 2022 में गुस्साई जनता ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के महल और प्रधानमंत्री आवास में घुसकर तोड़फोड़ और लूटपाट की। राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा। पार्टी का चुनावों में सूपड़ा साफ हो गया। तब रानिल विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति चुना गया था।
23 सितंबर 2024 में अनुरा कुमार दिसानायके राष्ट्रपति बने। राष्ट्रपति बनने के बाद अनुरा सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और 5 पूर्व मंत्रियों को भष्ट्राचार के मामलों में जेल की सजा सुनाई गई।
श्रीलंका में अभी भी 2022 जैसे हालात बने हुए हैं। की अर्थव्यवस्था अभी भी संकट में है। लोगों पर महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी का बोझ बना हुआ है।
पाकिस्तान: जेल में इमरान, विद्रोही हमले बढ़े
पाकिस्तान में अप्रैल, 2022 में इमरान खान की सत्ता से विदाई हुई। इसके बाद शहबाज शरीफ की गठबंधन वाली सरकार बनी। पाकिस्तान में बेशक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ हैं, लेकिन सरकार आर्मी चीफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर ही चला रहे हैं।
सरकार कई मोर्चों पर असंतोष से जूझ रही है। बलूचिस्तान और खैबर- पख्तूनख्वा में विद्रोहियों के हमले 70 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गए हैं। महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी बढ़ती जा रही है।
म्यांमार: सेना के हाथ में देश की कमान
फरवरी, 2021 की बात है। आंग सान सू की की सरकार का तख्तापलट हो गया। आंग सान सू को जेल में डाल दिया गया। म्यांमार की कमान सेना के हाथ में आ गई। इसके बाद म्यांमार गृहयुद्ध में डूब गया।
लाखों लोग पलायन कर बांग्लादेश और भारत आए। हजारों की संख्या में लोग मारे गए। यूएन की रिपोर्ट की मानें तो अब तक 6,231 नागरिक मारे जा चुके हैं।
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अफगानिस्तान: महिलाओं पर पाबंदियां, गरीबी में जी रहे लोग
अगस्त 2021 की बात है। अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान से अपने देश वापसी की। इसके बाद तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया। तालिबान की वापसी के बाद उस समय के राष्ट्रपति अशरफ गनी थे, जिनका अपनी जान बचाकर देश से भागना पड़ा था।
अफगानिस्तान की कमान तालिबान के हाथ में आते ही वहां महिलाओं पर अनगिनत पाबंदियां लग गईं। देश आर्थिक संकट में फंस गया। यूएन की रिपोर्ट की मानें तो 97 प्रतिशत अफगानी लोग गरीबी में जी रहे हैं। लोगों को दो वक्त का भोजन बमुश्किल नसीब हो पाता है। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हैं।
मालदीव: कर्ज के दलदल में फंसा, चीन का दबाव बढ़ा
मालदीव की अर्थव्यवस्था गहरे कर्ज संकट से जूझ रही है। मालदीव का ऋण जीडीपी का करीब 134 प्रतिशत पहुंच गया। मालदीव पर चीन का 91,500 करोड़ रुपये का कर्ज है, जोकि विदेशी कर्ज का 35 प्रतिशत से अधिक है। इसके चलते मालदीव चीन की ओर से दबाव झेल रहा है।
नेपाल: सुलग रहा देश; सेना ने लगाया कर्फ्यू
नेपाल में साल 2006 में राजशाही की समाप्ति और संसद की बहाली के लिए जन आंदोलन हुए थे। अब सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जेन -जी आंदोलन हुआ। जिसमें प्रदर्शनकारियों ने कल यानी मंगलवार को संसद, सिंह दरबार और सुप्रीम कोर्ट समेत कई प्रशासनिक इमारतों में तोड़फोड़ और आगजनी की थी।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल, गृहमंत्री रमेश लेखक के निजी आवासों में भी आगजनी की। पार्टी दफ्तरों और पुलिस थानों पर हमले किए। बैंकों में लूटपाट की गई। पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी आरजू राणा को घर में घुसकर पीटा। वित्त मंत्री विष्णु पोडौल को काठमांडू में उनके घर के बाहर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। पूर्व पीएम की पत्नी का जिंदा जला दिया।
प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया। कहा जा रहा है कि के पी शर्मा ओली को भी हसीना की तरह देश छोड़ना पड़ा है। हिंसक प्रदर्शनों में अब तक 23 लोगों की मौत हो चुकी है और 400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। सेना ने कंट्रोल ले लिया है। हिंसा अभी भी जारी है।
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