'पाक सेना और आइएसआइ नहीं चाहते अफगान सीमा पर शांति', तालिबान ने आतंकी संगठन टीटीपी से संबंध को किया खारिज
तालिबान ने आरोप लगाया कि सेना और आइएसआइ के कुछ लोग सीमा पर तनाव में कमी नहीं आने देना चाहते और इसके लिए वे जानबूझकर षड्यंत्र रच रहे हैं। बता दें कि कतर और तुर्किये की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच 19 अक्टूबर को युद्धविराम हुआ था। टीटीपी को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने के पाकिस्तान के आरोप को भी मुजाहिद ने खारिज किया।

'पाक सेना और आइएसआइ नहीं चाहते अफगान सीमा पर शांति', तालिबान (फोटो- एक्स)
पीटीआई, नई दिल्ली। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच इस्तांबुल में शांति वार्ता विफल होने के एक दिन बाद तालिबान शासन ने शनिवार को पाकिस्तान सेना और खुफिया एजेंसियों को निशाने पर लिया।
तालिबान ने आरोप लगाया कि सेना और आइएसआइ के कुछ लोग सीमा पर तनाव में कमी नहीं आने देना चाहते और इसके लिए वे जानबूझकर षड्यंत्र रच रहे हैं। बता दें कि कतर और तुर्किये की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच 19 अक्टूबर को युद्धविराम हुआ था।
तालिबान सरकार पर दोष मढ़ रहा है पाकिस्तान
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि ये तत्व पाकिस्तान की अंदरूनी समस्याओं, असुरक्षा और तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के हमलों के लिए तालिबान सरकार पर दोष मढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान किसी को भी ये छूट नहीं देता कि वो अफगान धरती से किसी अन्य देश की संप्रभुता या सुरक्षा को खतरा पैदा करे।
हमारा टीटीपी से कोई लेना देना नहीं
टीटीपी को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने के पाकिस्तान के आरोप को भी मुजाहिद ने खारिज किया। तालिबान प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि टीटीपी का मुद्दा पुराना है और इस समूह का गठन 2002 में हुआ था और इसका मौजूदा तालिबान प्रशासन से कोई संबंध नहीं है। मुजाहिद ने आगे कहा कि टीटीपी का उदय पाकिस्तान के कबायली इलाकों में अमेरिकी बमबारी और ड्रोन हमलों के बाद हुआ।
उन्होंने दावा किया कि ये अभियान इस्लामाबाद की सहमति से चलाए गए थे। उन्होंने कहा कि टीटीपी पर बार-बार सैन्य कार्रवाई की वजह से कबायली इलाकों से लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें से तमाम ने अफगानिस्तान में शरण ली है।
पाकिस्तान के खाली हाथ
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस्लामाबाद में कहा कि अफगानिस्तान के साथ वार्ता समाप्त हो गई है और ''भविष्य में किसी भी बैठक की कोई योजना नहीं है''।
उन्होंने कहा, ''हमारा खाली हाथ लौटना दर्शाता है कि मध्यस्थों को भी अब अफगानिस्तान के तालिबान से कोई उम्मीद नहीं है। चौथे दौर की वार्ता की कोई योजना या उम्मीद नहीं है। वार्ता अनिश्चितकाल के लिए ठप हो गई है।

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