अफगानिस्तान से नेपाल तक... चार साल में भारत के 4 पड़ोसी देशों में 'तख्तापलट', क्या रही वजह?
नेपाल में सोशल मीडिया पर बैन लगने के बाद हिंसा भड़क उठी जिसके चलते प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर भागने की तैयारी में हैं। वहीं बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुए जिसके बाद उन्हें देश छोड़ना पड़ा। पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद हिंसक प्रदर्शन हुए।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेपाल सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगा दिया था, जिसके बाद पूरे देश में हिंसा फैल गई और लाखों की संख्या में युवा सड़क पर उतरकर उग्र प्रदर्शन करने लगे। इस बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और खबर आ रही है कि वे देश छोड़कर दुबई भागने की तैयारी में हैं।
नेपाल में हालात काबू में होने के बजाय और बिगड़ गए हैं और पुलिस भी बेबस नजर आ रही है। राजधानी काठमांडू से लेकर पूरे देश में Gen Z सड़क पर नजर आ रहे हैं और हर जगह भयानक बवाल मचा हुआ है। लोगों का गुस्सा सिर्फ सोशल मीडिया ब्लॉक होने पर सामने नहीं आया है, बल्कि युवाओं की आजादी छीनने की कोशिश के खिलाफ भी लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।
भारत के पड़ोस में लगातार होता आ रहा तख्तापलट
पिछले कुछ सालों में भारत के पड़ोसी देशों में विरोध-प्रदर्शन और तख्तापलट की यह लहर बार-बार देखने को मिली है। हालांकि, हर देश में वजह अलग-अलग रही। कहीं सत्ता का दुरुपयोग तो कहीं आर्थिक संकट और कहीं लोकतंत्र पर हमला। लेकिन नतीजा हर बार एक ही रहा तख्तापलट।
बांग्लादेश के बुरे हाल
भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश के हालात साल 2022 से ही ठीक नहीं थे और मई 2024 में जनता का गुस्सा अपने चरम पर पहुंच गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के खिलाफ लोग राजधानी ढाका से लेकर पूरे देश में सड़क पर उतर गए।
प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना सरकार पर आरोप लगाया कि आवामी लीग और उसकी छात्र इकाई लंबे समय से विपक्ष को दबा रही है। अगस्त 2024 में प्रदर्शनकारियों की वजह से हालात इतने बिगड़ गिए कि शेख हसीना को सत्ता छोड़कर देश से भागना पड़ गया था।
पाकिस्तान में हुआ था भयानक प्रदर्शन
भारत का दूसरा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भी सत्ता संकट का शिकार रहा है। मई 2023 में तोशखान मामले में इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने देशभर में विरोध-प्रदर्शन किया था और कई जगहों पर आगजनी भी की गई थी। लाहौर से लेकर इस्लामाबाद तक सरकारी इमारतें जलने लगी थी और तो और सेना के ठिकानों को भी निशाना बनाया गया था।
इस हिंसक प्रदर्शन के बाद देशभर में इंटरनेट बंद कर दिया गया था और कर्फ्यू जैसे हालात बन गए थे। यह पहला मौका था जब पाकिस्तान की जनता ने सेना के खिलाफ गुस्सा दिखाया था। हजारों की संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
श्रीलंका में टूटा लोगों का धैर्य
पाकिस्तान से पहले भारत का एक और पड़ोसी देश श्रीलंका के भी हालात ठीक नहीं थे। 2022 में श्रीलंका में आर्थिक संकट की वजह से लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया था। देश में बिजली की कटौती, महंगाई और फ्यूल की कीमतों ने विरोध की चिंगारी को भड़का दिया था।
लोगों का गुस्सा इस स्तर पर था कि हजारों की संख्या में लोग श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में राष्ट्रपति भवन तक जा पहुंचे और तत्कालीन राष्ट्रपति महिंद्र राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ गया था। इस आंदोलन को 'अरगलाया आंदोलन' के नाम से जाना गया और इसने श्रीलंका की राजनीति की तस्वीर ही बदल दी।
अफगानिस्तान में तालिबान शासन
भारत के पड़ोस में बसे एक और देश अफगानिस्तान का इतिहास ही तख्तापलट का रहा है। अगस्त 2021 में अमेरिका की सेना के हटने के बाद अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा हो गया। साल 2021 में अमेरिका ने करीब 20 साल के बाद देश से अपनी सेना को वापस बुला लिया।
अमेरिका के इस फैसले के बाद तालिबान ने मुल्क में पैर पसार लिए और जब अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान का शासन कायम हो गया तो राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए। तब से वहां पर लोकतांत्रिक व्यवस्था की जगह एक कठोर शासन कायम है।
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