'भारत में धार्मिक स्वतंत्रता जीवंत और स्वस्थ', आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ने पश्चिमी रिपोर्टों की खोली कलई
आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ने भारत के खिलाफ पश्चिमी रिपोर्टों की कलई खोल दी है। रिपोर्ट में ब्रिटेन और अमेरिकी संस्थाओं की नकारात्मकता को भी उजागर किय ...और पढ़ें

मेलबर्न, एएनआइ। अंतरराष्ट्रीय मीडिया के एक धड़े के विपरीत भारत के सामाजिक तानेबाने के संबंध में आस्ट्रेलिया की एक यूनिवर्सिटी ने बहुत सकारात्मक रिपोर्ट दी है। क्वाड्रेंट आनलाइन पर सिडनी यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर सालवेटोर बबोन्स ने लिखा है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता जीवंत ही नहीं, वरन बेहद स्वस्थ रूप में है। उन्होंने पश्चिमी देशों की उस साजिश को भी उजागर कर दिया, जिसमें जताया जा रहा है कि लोकतांत्रिक भारत एक तरह से हिंदू राष्ट्र बन गया है।
भारत विश्व का सबसे विशाल लोकतंत्र
बबोन्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत विश्व का सबसे विशाल लोकतंत्र है, जहां मौटे तौर पर दुनिया के आधे लोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के जरिये अपनी राय रखने में सक्षम हैं। क्वाड्रेंट आनलाइन ने रिपोर्ट में बताया है कि भारत में सत्तारूढ़ भाजपा हिंदुत्व पर जोर देती है, क्योंकि इसके तहत पूजा और विश्वास के स्वरूपों को मान्यता दी जाती है।
संस्कृत से आए 'हिंदू' और 'भारत' शब्द
'हिंदू' और 'भारत' शब्द मूल भाषा संस्कृत से आए हैं। इसी साल जनवरी में रिलीज की गई बीबीसी की एक डाक्यूमेंट्री 'इंडिया : द मोदी क्वेश्चन' में 2002 के गुजरात दंगों को गुमराह करने वाले तथ्यों के साथ दिखाया गया था। इस विवादित डाक्यूमेंट्री के कारण गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट से मिली क्लीनचिट पर सवाल उठाए जाने लगे।
ब्रिटेन के इरादे पर उठाए सवाल
ब्रिटेन के इरादे पर सवाल उठाते हुए बबोन्स ने कहा कि छह दिसंबर, 2022 को बर्मिंघम में एक 45 वर्षीय महिला को चुपचाप प्रार्थना करने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन भारत में विभिन्न धर्मों के लोग सार्वजनिक क्षेत्रों में ईश्वर की आराधना कर सकते हैं, वह भी कई बार काफी ऊंचे स्वरों में ऐसा करते देखा जाता है।
सामाजिक शत्रुता को पनपाने का आरोपित है ब्रिटेन
बबोन्स ने अपनी रिपोर्ट में ब्रिटेन पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर कोई देश धर्म को लेकर सामाजिक शत्रुता को पनपाने का आरोपित है तो वह नास्तिक प्रवृत्ति का ब्रिटेन ही है। हालांकि, क्वाड्रेंट आनलाइन ने बताया कि सम्मानित पियु रिसर्च सेंटर ने भारत को धार्मिक शत्रुता के मामले में दुनिया का सबसे खराब देश करार दिया है। पियु रिसर्च सेंटर अपने किसी खास मकसद से भारतीय संस्थाओं पर प्रहार करता आ रहा है।
भारत में अपने धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं लोग
सिडनी यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी तादाद में भारतीयों का कहना है कि वह अपने धर्म का पालन करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं, लेकिन पियु रिसर्च सेंटर का दावा है कि हिंदू बहुल देश में कुछ मुसलमानों को भेदभाव की शिकायतें हैं। भारत को निशाना बनाने वालों में अमेरिकी विदेश विभाग के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कार्यालय (ओआइआरएफ), अमेरिकी सरकार की प्रायोजित युनाइटेड स्टेट्स कमिशन आन इंटरनेशनल रिलीजन फ्रीडम (यूएससीआइआरएफ) और मानवाधिकार उच्चायोग के संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (ओएचसीएचआर) भी शामिल हैं।

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