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    बांग्लादेश में प्रदर्शनकारियों पर शेख हसीना ने चलवाई थी गोलियां? अब हो गया खुलासा

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 05:19 PM (IST)

    बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक इंटरव्यू में कहा कि वह लोकतंत्र की बहाली के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने अगस्त में हुए प्रदर्शनों को हिंसक विद्रोह बताया और सुरक्षा बलों पर अनुशासन की कमी का आरोप लगाया। हसीना ने अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण को दिखावटी अदालत बताया और मौतों के आंकड़ों पर संदेह जताया।

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    हसीना ने सभी विषयों पर खुलकर अपनी बात रखी है (फोटो: रॉयटर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना पिछले साल 5 अगस्त को देश छोड़कर भारत आ गई थीं। इस घटना से करीब 15 महीने बाद अब शेख हसीना ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अंग्रेजी न्यूज पोर्टल द इंडिपेंडेंट को दिए एक इंटरव्यू में हसीना ने सभी विषयों पर खुलकर अपनी बात रखी है।

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    देश छोड़कर भागने और बांग्लादेश में अवामी लीग पर प्रतिबंध लगने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह देश में लोकतंत्र की बहाली के लिए प्रतिबद्ध हैं। हसीना ने कहा कि 'बांग्लादेश में रहने से न सिर्फ मेरी जान को खतरा होता, बल्कि मेरे आसपास के लोगों की सुरक्षा को भी खतरा हो जाता।'

    लोगों पर किसने चलवाई गोलियां?

    बांग्लादेश में अगस्त में हुए प्रदर्शनों को हसीना ने हिंसक विद्रोह करार दिया। उन्होंने कहा, 'एक एक नेता होने के नाते मैं निश्चित तौर पर नेतृत्व की जिम्मेदारी लेती हूं, लेकिन यह दावा कि मैंने सुरक्षा बलों को भीड़ पर गोलियां चलाने का आदेश दिया या चाहा, सरासर गलत है।' हसीना ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों का हताहत होने का जिम्मेदार जमीनी सुरक्षाबलों की अनुशासन की कमी थी।

    शेख हसीना ने कहा कि अगर बांग्लादेश का अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण उन्हें मौत की सजा सुना देता है, तो उन्हें न को इसका आश्चर्य होगा और न ही जर लगेगा। शेख हसीना ने कहा कि आईसीटी एक दिखावटी अदालत है जिसकी अध्यक्षता मेरे राजनीतिक विरोधियों वाली एक अनिर्वाचित सरकार करती है। उनमें से कई विरोधी मुझे हटाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

    उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने शुरुआत में हुई मौतों के लिए एक स्वतंत्र जांच शुरू की थी, जिसे बाद में आए अंतरिम प्रशासन ने बंद कर दिया था। हसीना ने विरोध प्रदर्शन में होने वाली मौतों के आंकड़े पर भी सवाल उठाया और कहा कि 1,400 का आंकड़ा आईसीटी के लिए प्रचार के लिए उपयोगी है, लेकिन असल में यह बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।