तालिबानी फरमान के कारण अफगानी महिलाओं को नहीं मिल पा रही मदद, भूकंप पीड़ितों ने सुनाया दर्द
अफगानिस्तान में तालिबान के लैंगिक नियमों के कारण भूकंप प्रभावित महिलाओं को राहत मिलने में बाधा आ रही है। पर-पुरुष से स्पर्श नहीं के नियम के चलते बचावकर्मी महिलाओं की मदद करने में हिचकिचा रहे हैं जिससे मलबे में दबी महिलाओं तक चिकित्सा सेवा पहुंचने में देरी हो रही है। तालिबानी प्रतिबंधों के चलते महिला स्वास्थ्यकर्मियों की कमी भी एक बड़ी समस्या है जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान के सख्त लैंगिक नियम और सांस्कृतिक प्रतिबंध भूकंप प्रभावित महिलाओं के राहत एवं बचाव में बाधा बन रहे हैं। 'पर-पुरुष से स्पर्श नहीं' के नियम के कारण भूकंप के 36 घंटों बाद तक महिलाओं तक राहत नहीं पहुंच पाई थी।
तालिबान के ''अजनबी पुरुषों से त्वचा का स्पर्श नहीं करने'' के नियम के तहत पुरुष बचावकर्मी महिलाओं की शारीरिक सहायता नहीं कर सकते, यहां तक कि जानलेवा परिस्थितियों में भी। इस कारण मलबे में दबी महिलाओं को चिकित्सा सेवा मिलने में देरी हुई है या उन्हें चिकित्सा सेवा नहीं मिल पाई है।
तालिबानी प्रतिबंधों के महिलाओं को नहीं मिल रही मदद
कुनार प्रांत के अंदरलुक्क की जीवित बची 19 वर्षीय आयशा ने बताया कि तालिबान के प्रतिबंधों के कारण घायल महिलाओं को चिकित्सा सेवा की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है और कइयों को तो मदद भी नहीं मिल पा रही है। 31 अगस्त के भूकंप से स्थिति और भी बदतर हो गई है। कई महिलाएं मलबे में फंसी हुई थीं या उन्हें इलाज नहीं मिला। उनमें से कुछ के खून बह रहा था।
हमें कोने में इकठ्ठा करके भूल गए- आयशा
आयशा ने कहा, ''उन्होंने हमें एक कोने में इकट्ठा कर लिया और भूल गए। किसी ने भी महिलाओं की मदद नहीं की, न ही उनकी जरूरतें पूछीं और न ही उनसे संपर्क किया।' तालिबान द्वारा महिलाओं के मेडिकल की पढ़ाई करने और सार्वजनिक पदों पर काम करने पर प्रतिबंध लगाने के कारण महिला स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है।
मलबे से महिलाओं को निकालने में हिचकिचा रहे बचावकर्मी
कुनार प्रांत के मजार दारा गए एक पुरुष स्वयंसेवक तहजीबुल्लाह मुहाजेब ने कहा कि पुरुषों की चिकित्सा टीम के सदस्य ढही हुई इमारतों के मलबे से महिलाओं को निकालने में हिचकिचा रहे थे। उन्हें पत्थरों के नीचे छोड़ दिया गया था। वे दूसरे गांवों की महिलाओं के पहुंचने और उन्हें खोदकर निकालने का इंतजार कर रही थीं। ऐसा लग रहा था, जैसे महिलाएं अवश्य थीं।
(समाचार एजेंसी एएनआइ के इनपुट के साथ)
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