सिंध के पहाड़ों में सुरंग बना रहा पाकिस्तान, कहीं परमाणु परीक्षण का प्लान तो नहीं... उठी जांच की मांग
सिंधी नागरिक समूहों ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत में गुप्त परमाणु गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने IAEA और संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखकर जमशोरो और मंछर झील के पास भूमिगत सुरंगों के निर्माण का दावा किया है। समूहों ने रेडियोधर्मी प्रदूषण के खतरे को देखते हुए तत्काल अंतर्राष्ट्रीय जांच की मांग की है। उन्होंने सबूत पेश करने के लिए सुरक्षित चैनलों की भी आवश्यकता बताई है।

सिंध में गुप्त परमाणु गतिविधियों का खुलासा। जागरण फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सिंधी नागरिक समाज के समूहों और 'सिंधुदेश आंदोलन' के एक गठबंधन ने पाकिस्तान के सिंध प्रांत के दूरदराज पहाड़ी क्षेत्रों में कथित गुप्त परमाणु-संबंधित गतिविधियों को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंता व्यक्त की है।
सिंध के नागरिक समूहों ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) के संयुक्त राष्ट्र महासचिव, संयुक्त राष्ट्र के निरस्त्रीकरण मामलों के कार्यालय और मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (ओएचसीएचआर) को एक औपचारिक पत्र भेजकर दावा किया कि जमशोरो के उत्तर में नोरियाबाद, कंबर-शहददकोट के आसपास और मंछर झील के पश्चिम में कई भूमिगत सुरंगें और कक्ष प्रणाली बनाई गई हैं।
सिंध में गुप्त परमाणु गतिविधियों का खुलासा
यह पत्र जेये सिंध मुट्ठैदा महाज के अध्यक्ष शफी बुरफात ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर साझा किया।पत्र के अनुसार इन सुरंगें के लिए उच्च सैन्य गोपनीयता के चलते सीमित पहुंच और तीव्र निर्माण गतिविधि है। इन्हें परमाणु सामग्री के भंडारण या संबंधित प्रक्रियाओं के लिए उपयोग किया जा सकता है।
समूहों ने चेतावनी दी कि यदि इन भूमिगत सुविधाओं में वास्तव में परमाणु सामग्री मौजूद है, तो इससे रेडियोधर्मी प्रदूषण, पर्यावरणीय क्षति और अंतरराष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा और अप्रसार मानकों का उल्लंघन होने का गंभीर खतरा है। पत्र में तत्काल अंतरराष्ट्रीय सत्यापन की मांग की गई। साथ ही स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य तनाव बढ़ाना नहीं बल्कि पारदर्शिता सुनिश्चित करना, नागरिकों की सुरक्षा करना और पर्यावरण की रक्षा करना है।
आइएईए से तत्काल जांच की मांग
इसमें आइएईए से अनुरोध किया गया कि वह मूल्यांकन के लिए तकनीकी विशेषज्ञों को तैनात करें। सिंध के नागरिक समूहों ने ओएचसीएचआर, यूएनईपी और अन्य संयुक्त राष्ट्र निकायों द्वारा समानांतर मानवाधिकार और पर्यावरणीय आकलन भी किए गए ताकि जल स्त्रोतों, कृषि, जैव विविधता और सार्वजनिक स्वास्थ्य को संभावित खतरों का मूल्यांकन किया जा सके।
इसके अतिरिक्त याचिका में सुबूत जैसे कि तस्वीरें, मानचित्र और गवाहों के बयान प्रस्तुत करने के लिए सुरक्षित चैनलों की आवश्यकता पर जोर दिया गया, जबकि स्त्रोतों को धमकी या प्रतिशोध से सुरक्षा सुनिश्चित हो। स्थानीय जनसंख्या के लिए अंतरिम सावधानीपूर्वक मार्गदर्शन और संभावित रेडियोलाजिकल घटनाओं के लिए आकस्मिक योजना की भी मांग की गई।
(न्यूज एजेंसी ANI के इनपुट के साथ)

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