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    पहले किया समर्थन फिर ट्रंप के गाजा प्लान पर क्यों पलट गया पाकिस्तान? पढ़ें अंदर की बात

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 10:00 PM (IST)

    पाकिस्तान गाजा पर ट्रंप के शांति प्रस्ताव से पलटने का संकेत दे रहा है। विदेश मंत्री इशाक डार ने संसद में कहा कि यह प्रस्ताव पाकिस्तान के मूल मसौदे से मेल नहीं खाता। जबकि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पहले ट्रंप के प्रस्ताव का समर्थन किया था। माना जा रहा है कि सेना प्रमुख असीम मुनीर की सहमति से यह यू-टर्न लिया गया है।

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    ट्रंप के गाजा प्लान पाकिस्तान ने किया फेल।

    जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। गाजा पर ट्रंप के शांति प्रस्ताव को लेकर पाकिस्तान में आम सहमति बनती नजर नहीं आ रही है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री इशाक डार ने ट्रंप के प्रस्ताव के विरोध में बयान दिया तो इससे पाकिस्तान के पलटी मारने का रवैया एक बार फिर सामने आ गया, जबकि पीएम शहबाज शरीफ ट्रंप को इस प्रस्ताव के लिए शुक्रिया कह चुके थे।

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    उन्होंने एक्स पर पोस्ट करके उम्मीद जताई कि पश्चिम एशिया में पिछले दो साल से जारी त्रासदी पर रोक लगाई जा सकेगी और साथ ही सभी बंधकों को मुक्त कराया जा सकेगा। पाकिस्तान ट्रंप का समर्थन करता रहा है। यहां तक कि उसने नोबेल पुरस्कार के लिए ट्रंप का समर्थन भी किया है। लेकिन अब ट्रंप की योजना पर पाकिस्तान मुकर रहा है।

    ऐसा क्या हुआ कि इशाक डार ने शरीफ के उलट बयान दिया?

    डार के बयान से ऐसा आभास हुआ कि पाकिस्तान ट्रंप के गाजा शांति प्रस्ताव से तीखा यू-टर्न ले रहा है। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने संसद में औपचारिक घोषणा करते हुए कहा कि यह दस्तावेज पाकिस्तान का नहीं है और इसमें ऐसे संशोधन किए गए हैं जो हमारे मूल मसौदे से मेल नहीं खाते।

    वहीं, इजरायल और हमास ने इसे लागू करने की सहमति जता दी है। हालांकि, हमास ने ट्रंप के प्रस्ताव पर आंशिक रूप से हामी भरी है।

    यू-टर्न के पीछे सेना प्रमुख मुनीर

    माना जा रहा है कि इस बदले रुख के पीछे पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर की सहमति है। सेना का मानना है कि किसी भी तरह इस योजना को स्वीकार करना, अमेरिकी और इजरायली हितों को मान्यता देने जैसा होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान ने यह कदम घरेलू राजनीतिक और धार्मिक दबाव को ध्यान में रखकर उठाया है।

    पाकिस्तान सरकार का यह बयान फेस-सेविंग की कवायद जैसा लग रहा है। इसका उद्देश्य जनता के बीच यह संदेश देना है कि इस्लामाबाद ने अमेरिकी दबाव के आगे घुटने नहीं टेके। इस रुख से पाकिस्तान यह भी जताना चाह रहा है कि वह मुस्लिम देशों की एकजुटता से अलग नहीं हो रहा और न ही फलस्तीनी मकसद से समझौता कर रहा है।

    पाक मंत्री डार ने ये कहा था

    पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा है कि इस प्रस्ताव में वे बातें नहीं हैं जो ट्रंप ने मुस्लिम देशों के नेताओं को न्यूयार्क में 22 सितंबर को वार्ता में बताई थीं और प्रस्ताव का मसौदा दिखाया था। उस वार्ता में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल थे।

    डार ने कहा, उस मसौदे में इजरायली सेना की गाजा से पूर्ण वापसी की शर्त थी जबकि ट्रंप की योजना में सेना की चरणबद्ध वापसी की बात है लेकिन उसके लिए कोई समय निर्धारित नहीं किया गया है। वेस्ट बैंक को इजरायल में न मिलाए जाने की शर्त थी लेकिन उसका भी जिक्र ट्रंप के 20 सूत्री प्रस्ताव में नहीं है। स्वतंत्र फलस्तीन राष्ट्र के बारे में भी ट्रंप द्वारा घोषित प्रस्ताव कुछ नहीं कहता है। डार ने यह बात पाकिस्तानी संसद में कही है।

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