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    टैरिफ अटैक के बावजूद रूस से सबसे ज्यादा तेल खरीद रहा भारत, देखें आंकड़े

    Updated: Wed, 15 Oct 2025 11:12 AM (IST)

    रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, हालांकि भारत के तेल आयात में 10% की गिरावट आई है। यह बदलाव भारत की ऊर्जा सुरक्षा नीतियों और वैश्विक ऊर्जा बाजार में हो रहे बदलावों को दर्शाता है। रूस से तेल की आपूर्ति भारत के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन आयात में कमी एक नया रुझान दिखाती है।

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    सितंबर में भारत ने 45 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) से अधिक कच्चा तेल आयात किया।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस भारत के लिए तेल का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है, जो सितंबर 2025 में 34% कच्चे तेल की आपूर्ति के साथ शीर्ष पर रहा। हालांकि, कमोडिटीज और शिपिंग मार्केट ट्रैकर केपलर की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के पहले आठ महीनों में रूसी तेल के आयात में 10% की गिरावट दर्ज की गई है।

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    सितंबर में भारत ने 45 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) से अधिक कच्चा तेल आयात किया, जो अगस्त की तुलना में 70,000 बैरल अधिक है, लेकिन पिछले साल के समान अवधि की तुलना में स्थिर रहा। इसमें रूसी तेल की हिस्सेदारी 16 लाख बीपीडी थी।

    डिस्काउंट कम करने से मांग में कमी?

    अक्टूबर में भारत के कुल कच्चे तेल आयात में रूसी तेल की मात्रा 16 लाख बीपीडी रही, जो 2025 के पहले आठ महीनों के औसत से 1.8 लाख बैरल कम है। केपलर की रिपोर्ट बताती है कि यह कमी बाजार की गतिशीलता के कारण है, न कि अमेरिकी टैरिफ की धमकी या यूरोपीय आलोचनाओं की वजह से ऐसा हो रहा है।

    तेल की कीमतों में गिरावट ने रूसी कच्चे तेल पर मिलने वाला डिस्काउंट घटाकर लगभग 2 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है। इससे भारतीय रिफाइनरों के लिए पश्चिम एशिया, अफ्रीका और अमेरिका जैसे अन्य स्रोतों से तेल खरीदने के अवसर बढ़ गए हैं, जो विभिन्न प्रकार के कच्चे तेल को प्रोसेस करने में सक्षम हैं।

    मानसून के दौरान डीजल जैसे ईंधन की मांग में कमी ने भी रूसी तेल से थोड़ा ध्यान हटाने में योगदान दिया, क्योंकि डिस्काउंट की राशि कम हो गई थी।

    त्योहारी सीजन में रूसी तेल की अहमियत बरकरार

    केपलर की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी तेल भारतीय रिफाइनरों के लिए सबसे किफायती विकल्पों में से एक बना रहेगा। इसका कारण रूसी तेल का उच्च ग्रॉस प्रोडक्ट मार्जिन (जीपीडब्ल्यू) और अन्य विकल्पों की तुलना में डिस्काउंट है। अक्टूबर-दिसंबर के त्योहारी सीजन में ईंधन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए रिफाइनरी संचालन तेज होने की उम्मीद है, जिससे रूसी तेल की मांग बनी रहेगी।

    भारत की तेल खरीद नीति बाजार की गतिशीलता पर आधारित है और रूसी तेल की हिस्सेदारी भले ही थोड़ी कम हुई हो, लेकिन इसकी आर्थिक व्यवहार्यता इसे भारतीय रिफाइनरों के लिए पसंदीदा विकल्प बनाए रखेगी।

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