व्यायाम करने से उम्र कम होती है? क्या कहती है रिसर्च
एक नए अध्ययन में ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने यह साबित किया है कि दिल की धड़कनों की कोई तय सीमा नहीं होती। व्यायाम करने से दिल पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि शरीर खुद को बेहतर बनाता है। एथलीट्स की हृदयगति सामान्य लोगों से कम होती है, जिससे वे धड़कनों की बचत करते हैं। हृदयगति को स्वास्थ्य का पूर्ण मापदंड नहीं माना जा सकता, लेकिन यह शरीर की स्थिति का संकेत जरूर देती है।

क्या व्यायाम करने से उम्र कम होती है? (इमेज फ्रीपिक)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फिटनेस और स्वास्थ्य की दुनिया में अक्सर ये सवाल उठते हैं कि क्या हमारे दिल की धड़कनों की कोई तय सीमा होती है? क्या बार-बार की गई कसरत और लगातार बढ़ी हृदयगति हमारी उम्र को कम कर देती है? इसी मिथक को तोड़ते हुए ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक नया अध्ययन किया है, जिसमें बताया गया है कि दिल की धड़कनों का कोई ''कोटा'' नहीं होता।
व्यायाम करने से दिल पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि इससे शरीर खुद को बेहतर तरीके से ढाल लेता है। माना जाता है कि एक इंसान का दिल पूरे जीवनकाल में ढाई अरब बार धड़कता है।
बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के टाम ब्राउनली के नेतृत्व में हुए इस शोध को प्रतिष्ठित पत्रिका जेएएसी: एडवांसेज में प्रकाशित किया गया है। इसमें शीर्ष एथलीट्स और टूर डी फ्रांस जैसे इवेंट में भाग लेने वाले साइकल चालकों के फिटनेस डेटा का विश्लेषण किया गया।
बढ़ी हुई धड़कनों का असर कुल धड़कनों पर नहीं पड़ता
शोधकर्ताओं ने पाया कि ये खिलाड़ी आराम के दौरान अपनी हृदयगति को इतनी कुशलता से नियंत्रित करते हैं कि कसरत के दौरान बढ़ी हुई धड़कनों का असर उनकी कुल धड़कनों पर नहीं पड़ता। आराम की अवस्था में धड़कनों की ''बचत''शोध में पता चला कि प्रशिक्षित एथलीट्स की रेस्टिंग हार्ट रेट (आराम के समय दिल की गति) सामान्य लोगों की तुलना में काफी कम होती है।
इसका मतलब यह हुआ कि वे एक दिन में करीब 11,500 धड़कनों की ''बचत'' कर लेते हैं। यही कारण है कि भले ही उनकी हृदयगति कसरत के दौरान बढ़ती हो, लेकिन आराम के समय वह संतुलित हो जाती है। इससे उनकी दीर्घायु में कोई कमी नहीं आती।
टूर डी फ्रांस जैसे हाई-इंटेंसिटी इवेंट में भाग लेने वाले खिलाड़ियों का दिल औसतन 35,000 बार ज्यादा धड़कता है। इसके बावजूद उनका स्वास्थ्य बेहतर होता है और जीवन प्रत्याशा भी अधिक रहती है।
दिल की धड़कनों से ही समझिए शरीर की स्थिति
वैज्ञानिकों ने यह भी आगाह किया है कि अकेले हृदयगति को स्वास्थ्य का पूर्ण मापदंड नहीं माना जा सकता। रेस्टिंग हार्ट रेट अगर लगातार ऊंचा रहता है, तो यह तनाव, खराब फिटनेस, कैफीन या तापमान से भी जुड़ा हो सकता है। इसलिए संदर्भ के बिना हृदय गति का डाटा सीमित जानकारी देता है। फिर भी, हृदय गति यह संकेत जरूर देती है कि शरीर किस प्रकार जीवन की चुनौतियों का सामना कर रहा है। आराम के समय लगातार ऊंची हृदय गति को हृदय रोग, स्ट्रोक और समय से पहले मृत्यु के जोखिम से जोड़ा गया है।
शोध का महत्व और भविष्य
इस अध्ययन का खास महत्व उन लोगों के लिए भी है जो पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। कई हेल्थ ऐप अब हृदय गति की निगरानी करके यह सुझाव देने लगे हैं कि कब व्यक्ति को अपनी शारीरिक सक्रियता कम करनी चाहिए। हालांकि शोधकर्ता मानते हैं कि यह अध्ययन सीमित है, क्योंकि इसमें ब्लड प्रेशर, आक्सीजन स्तर या रिकवरी बायोमार्कर जैसी चीजों को नहीं मापा गया। इसलिए और गहरे व दीर्घकालीन अध्ययन की आवश्यकता है।
इस शोध से साफ है कि दिल की धड़कनों की कोई तय सीमा नहीं होती। बल्कि व्यायाम से दिल मजबूत होता है और शरीर खुद को संतुलित करना सीखता है। डरने की नहीं, सक्रिय रहने की जरूरत है, क्योंकि ज्यादा जीने के लिए दिल का धड़कना जरूरी है।
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