Air Pollution: वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला दावा- धूमपान नहीं करने वालों को भी होता है इस वजह से फेफड़ों का कैंसर
वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पता लगाया है कि धूमपान नहीं करने वालों को भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बना रहता है। हवा में मौजूद बहुत छोटे प्रदूषण के कण उन लोगों के फेफड़ों में भी कैंसर पैदा करते हैं जिन्होंने कभी धूमपान की सेवन नहीं की है।

लंदन, आइएएनएस। वैज्ञानिकों ने रिसर्च में पता लगाया है कि धूमपान नहीं करने वालों को भी फेफड़ों के कैंसर का खतरा बना रहता है। उन्होंन एक ऐसे नए तंत्र की खोज की है जिसके माध्यम से हवा में मौजूद बहुत छोटे प्रदूषण के कण उन लोगों के फेफड़ों में भी कैंसर पैदा करते हैं, जिन्होंने कभी धूमपान की सेवन नहीं की है। जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार बहुत छोटे कण भी सांस की कोशिकाओं में कैंसर को बढ़ावा देते हैं। कैंसर रिसर्च यूके द्वारा स्थापित फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने ESMO Congress 2022 में इसका डेटा प्रस्तुत किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि सभी बहुत छोटे प्रदूषण के कण वाहन के निकास और जीवाश्म ईंधन के धुएं में पाए जाते हैं।
फेफड़ों के कैंसर से पूरी दुनिया में 250,000 से अधिक मौतें
वैज्ञानिकों ने कहा कि ये सभी कण नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) को बढ़ावा देते हैं। इससे फेफड़ों के कैंसर से पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष 250,000 से अधिक मौतें होती है। उन्होंने बताया कि जीवाश्म ईंधन के जलने से निकलने वाले कण जलवायु परिवर्तन को बढ़ाते हैं। इस प्रकार के कण मानव शरीर में सांस के माध्यम से अंदर जाते हैं और फेफड़ों की कोशिकाओं में कैंसर पैदा करते हैं।
धूमपान से होता है सबसे अधिक कैंसर
वैज्ञानिकों ने बताया कि धूमपान की तुलना में वायु प्रदुषण से फेफड़ों के कैंसर का खतरा बहुत कम होता है। हालांकि हमरा सांस पर किसी प्रकार का कोई नियंत्रण नहीं है। फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट (Francis Crick Institute) के चार्ल्स स्वैंटन ने कहा कि पूरी दुनिया में सिगरेट से निकलने वाली जहरीले रसायनों की तुलना में वायु प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य को बहुत अधिक खतरा है।
प्रयोगशाला में कैंसर का चला पता
चार्ल्स स्वैंटन ने बताया कि EGFR और KRAS के जीन में म्युटेशन हुआ है, जो सामान्य तौर पर यह फेफड़ों के कैंसर में पाए जाते हैं और यह सामान्य फेफड़ों के ऊतकों (lung) में मौजूद होते हैं। उन्होंने कहा कि प्रयोगशाला में जब इन म्युटेशन के साथ फेफड़ों की कोशिकाओं को वायु प्रदूषण के कण के संपर्क में लाया गया तो अधिक कैंसर देखा गया।

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