जागरण संपादकीय: पाकिस्तान की हर कमजोरी पर हो प्रहार, बदहाल आर्थिकी पर शिकंजा कसे भारत
विश्व बैंक के 2024 के आंकड़े को देखें तो भारत की जीडीपी 3.88 ट्रिलियन (लाख करोड़) डालर के करीब है जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (0.37 ट्रिलियन डालर) के आकार से दस गुना अधिक है। भारत के पास 677 अरब डालर का विदेशी मुद्रा भंडार है जबकि पाकिस्तान के पास मात्र 15.5 अरब डालर है और उसमें भी एक हिस्सा उधार का है।
डॉ. ब्रजेश कुमार तिवारी। भारत ने ‘आपरेशन सिंदूर’ के तहत जब से पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की है, तब से पाकिस्तान के शेयर बाजार में भी हाहाकार की स्थिति है। भारत पाकिस्तान को हर मोर्चे पर मात देने की रणनीति बना रहा है। भारत को आतंक के विरुद्ध युद्ध में एक स्थायी और सुरक्षित रास्ता चुनना होगा। हमेशा दुश्मन की कमजोर नस पर वार करना चाहिए।
पाकिस्तान की असली कमजोरी उसकी अर्थव्यवस्था है। उसके ऐसे सभी स्रोतों पर भारत को प्रहार करना चाहिए से, जहां से उसे तनिक भी विदेशी मुद्रा मिलती है। जैसे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने पाकिस्तान से आपसी मैच न खेलकर और चैंपियंस ट्राफी में वहां न जाकर उसे आर्थिक रूप से तगड़ी चोट पहुंचाई, वैसे ही तमाम जतन भारत सरकार को भी करने चाहिए। एक साथ आजाद हुए दोनों देशों के बीच आज बहुत बड़ा अंतर है।
अर्थव्यवस्था के सभी पैमानों पर भारत पाकिस्तान से मीलों आगे है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के मुताबिक दुनिया का पांचवां सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद पाकिस्तान अर्थव्यवस्था के आकार में 41वें स्थान पर है। भारत सबसे अधिक आबादी वाला देश है तो इकोनमी के आकार में जल्द ही जर्मनी को पछाड़कर तीसरे स्थान पर आ सकता है, जबकि बदहाल आर्थिकी वाला पाकिस्तान आतंक का अड्डा बना हुआ है।
विश्व बैंक के 2024 के आंकड़े को देखें तो भारत की जीडीपी 3.88 ट्रिलियन (लाख करोड़) डालर के करीब है, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था (0.37 ट्रिलियन डालर) के आकार से दस गुना अधिक है। भारत के पास 677 अरब डालर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जबकि पाकिस्तान के पास मात्र 15.5 अरब डालर है और उसमें भी एक हिस्सा उधार का है। पाकिस्तान में नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट अभी 12 प्रतिशत है। एक डालर की कीमत 280 पाकिस्तानी रुपये के बराबर है। विश्व बैंक ने करीब दो साल पहले पाकिस्तान को दक्षिण एशिया की सबसे कमजोर इकोनमी बताया था। पाकिस्तान का कुल कर्ज बढ़कर करीब 70.36 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये हो चुका है। यानी हर पाकिस्तानी पर औसतन 2.34 लाख पाकिस्तानी रुपये का कर्ज है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी फिच रेटिंग्स के मुताबिक, पाकिस्तान को वित्त वर्ष 2024-25 में 2,200 करोड़ डालर से ज्यादा का बाहरी कर्ज चुकाना है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय लगभग पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के भरोसे चल रही है। पाकिस्तान आइएमएफ का पांचवां सबसे बड़ा कर्जदार है। चीन का निर्यात-आयात (एक्जिम) बैंक उसे अतिरिक्त रियायती ऋण देने में हिचकिचा रहा है। अब आइएमएफ से कर्ज की अगली किस्त मिलेगी या नहीं, इस पर भी अनिश्चितता है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की बैठक में अगर पाकिस्तान ‘ग्रे लिस्ट’ में जाता है तो वह पाई-पाई को मोहताज हो जाएगा।
पाकिस्तान के साथ सभी तरह के कारोबारी रिश्तों को खत्म कर देना उसकी बर्बादी का पहला चरण है। अब भारत को पाकिस्तान के लिए अन्य देशों के साथ भी व्यापार करना बेहद महंगा बना देना चाहिए। भारतीय बंदरगाह पाकिस्तान के सीमित वैश्विक व्यापार मार्गों के लिए बहुत जरूरी लाजिस्टिक कड़ी रहे हैं। भारत ने अपने बंदरगाहों पर पाकिस्तानी जहाजों पर पूर्ण रोक लगाने की शुरुआत कर दी है। पाकिस्तानी जहाज पहले ट्रांस-शिपमेंट, ईंधन भरने और मरम्मत के लिए भारतीय बंदरगाहों पर निर्भर थे। इन सेवाओं के इन्कार से उसे अब ओमान या संयुक्त अरब अमीरात के माध्यम से लंबे और महंगे पड़ने वाले मार्गों को अपनाने पर मजबूर होना पड़ेगा।
पाकिस्तान के साथ समस्त व्यापार बंद होने से भारत की अर्थव्यवस्था पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि भारत के कुल वैश्विक व्यापार में पाकिस्तान की हिस्सेदारी 0.06 प्रतिशत से भी कम है और भारतीय व्यापारी अपना यह माल अन्य देशों में आसानी से बेच सकते हैं। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अनुसार, करीब 10 अरब डालर मूल्य के भारतीय सामान हर साल सिंगापुर, दुबई और कोलंबो के बंदरगाहों के माध्यम से पाकिस्तान पहुंचते थे। ऐसा कतई न हो, यह सुनिश्चित करना होगा।
उत्पादों और सेवाओं के मामले में भारत आज दुनिया के शीर्ष पांच बाजारों में से एक है। यह एशिया की सबसे ज्यादा खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जो उद्योग के अधिकांश क्षेत्रों में 100 प्रतिशत तक एफडीआइ की अनुमति देता है। नतीजतन सुई से लेकर हवाई जहाज तक के लिए आज भारत विश्व के सबसे बड़े बाजारों में से एक है। पाकिस्तान के 60 प्रतिशत से अधिक निर्यात में कपड़ा और संबंधित उत्पाद शामिल हैं, जो मुख्य रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन और इटली को भेजे जाते हैं। आज भारत के इन सभी देशों से अच्छे संबंध हैं। इसलिए भारत को तत्काल कपड़ा निर्यात की दिशा में काम करना होगा, क्योंकि इस क्षेत्र में वह पाकिस्तान का अच्छा विकल्प भारत आसानी से बन सकता है। ऐसे समय ‘मेक इन इंडिया’ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। अब समय आ गया है कि भारत ‘मेक इन इंडिया’ की उन बाधाओं को दूर करे, जिससे भारत विश्व निर्यात में अपनी भूमिका बढ़ा सके और पाकिस्तान की आर्थिकी की कमर कस कर तोड़ सके।
(लेखक जेएनयू के अटल स्कूल आफ मैनेजमेंट में प्रोफेसर हैं)
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