भारत से संबंधों और टैरिफ के मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की यह पोस्ट उनके बदले हुए रवैये की पुष्टि करने वाली है कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमेरिका, दोनों देशों के बीच व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं और मैं आने वाले समय में अपने बहुत अच्छे मित्र प्रधानमंत्री मोदी से बात करने के लिए उत्सुक हूं। उन्होंने यह भरोसा भी जताया कि दोनों महान देशों के लिए एक सफल निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई कठिनाई नहीं होगी।

उनकी इस सकारात्मक पोस्ट पर भारतीय प्रधानमंत्री ने भी इस आशय की पोस्ट की कि हमारी टीमें इस बातचीत को जल्द पूरा करने के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने भी राष्ट्रपति ट्रंप से वार्ता के लिए उत्सुकता जताई। अब प्रतीक्षा इस बात की है कि दोनों देशों के प्रतिनिधि द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर जारी बातचीत कब पूरी करके किसी सफल निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। संभवत ऐसा होने पर ही दोनों देशों के शासनाध्यक्षों के बीच वार्ता होगी।

वैसे गतिरोध तोड़ने के लिए यह पहले भी हो सकती है, लेकिन जब तक टैरिफ का मामला सुलझ नहीं जाता, तब तक बहुत अधिक उम्मीद नहीं की जानी चाहिए। इसके बावजूद नहीं की जानी चाहिए कि ट्रंप ने हाल में यह दूसरी बार कहा है कि दोनों देशों के संबंधों के मामले में चिंता की कोई बात नहीं।

अमेरिकी राष्ट्रपति पर अधिक भरोसा इसलिए नहीं किया जा सकता, क्योंकि गत दिवस ही उन्होंने यूरोपीय समुदाय से भारत और चीन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने को कहा, क्योंकि दोनों रूस से तेल खरीद रहे हैं। उन्होंने ऐसे भी संकेत दिए कि यदि यूरोपीय समुदाय के देश ऐसा करते हैं तो अमेरिका भी उनका अनुसरण कर सकता है। इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि व्यापार मामलों में उनके सलाहकार पीटर नवारो भारत के खिलाफ अपना दुष्प्रचार अभियान चलाए हुए हैं।

यह ठीक है कि अब अमेरिकी राष्ट्रपति भारत को एक महान देश बता रहे हैं, लेकिन बहुत दिन नहीं हुए जब वे भारतीय अर्थव्यवस्था को डेड इकोनमी बता रहे थे और एससीओ शिखर सम्मेलन के बाद भारत पर तंज कस रहे थे। चूंकि यह स्पष्ट है कि ट्रंप पहले अनुचित बातें करके दबाव बनाते हैं और फिर बात बनती न देखकर अपना रवैया बदलते हैं, इसलिए भारत को सतर्क रहना होगा और उन तैयारियों पर अपना ध्यान केंद्रित रखना होगा, जिनके तहत अमेरिकी टैरिफ से मुकाबला करने की रणनीति बनाई जा रही है।

इसी रणनीति के तहत स्वदेशी अपनाने के अभियान को गति देने के साथ देश को आत्मनिर्भर बनाने की भी पहल की जा रही है। यह पहल जारी रखनी चाहिए, क्योंकि ट्रंप यह जता चुके हैं उन पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है।