यह हतप्रभ करने वाला है कि भारत जब खालिस्तानी आतंकियों की ओर से एअर इंडिया के विमान में बम विस्फोट की 39वीं बरसी पर इस भयावह आतंकी घटना में मारे गए तीन सौ से अधिक लोगों का स्मरण कर रहा है, तब कनाडा की ओर से यह कहा जा रहा है कि इस मामले की जांच अभी जारी है। यह भारत और विश्व की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं।

कनाडा सरकार के इस कथन से यही स्पष्ट होता है कि वह इस आतंकी घटना के लिए उत्तरदायी खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती। इसके प्रमाण पहले भी सामने आ चुके हैं। एअर इंडिया के विमान को बम विस्फोट से ध्वस्त करने की घटना 9/11 के पहले की सबसे भीषण आतंकी वारदात थी, लेकिन कनाडा सरकार ने उसकी जांच घटना के 21 साल बाद शुरू की। चूंकि जांच का उद्देश्य दोषियों को दंडित करना नहीं, बल्कि खालिस्तानी आतंकियों का बचाव करना था, इसलिए सिर्फ एक आतंकी को मामूली सजा दी गई और उसे भी समय से पहले रिहा कर दिया गया।

जब एअर इंडिया के विमान को कनाडा में रह रहे खालिस्तानी आतंकियों ने निशाना बनाया था, तब वहां के प्रधानमंत्री मौजूदा पीएम जस्टिन ट्रुडो के पिता थे। साफ है कि खालिस्तानी आतंकियों का बचाव करने के मामले में जस्टिन ट्रुडो अपने पिता से दो कदम आगे हैं। यह हाल में तब और अच्छे से प्रकट हुआ, जब फर्जी दस्तावेजों के सहारे पंजाब से कनाडा भागे खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की मौत की बरसी पर वहां की संसद में उसे श्रद्धांजलि दी गई।

आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को श्रद्धांजलि बेशर्मी की पराकाष्ठा थी, क्योंकि एक समय खुद कनाडा सरकार ने उसे अपने लिए खतरा माना था और उसके बैंक खातों पर पाबंदी लगाने के साथ उसे हवाई यात्रा के लिए प्रतिबंधित कर दिया था। अब जब इसमें संदेह नहीं कि कनाडा सरकार खालिस्तानी आतंकियों के पक्ष में खुलकर खड़ी है और भारतीय हितों के खिलाफ काम कर रही है, तब फिर भारत को उसके प्रति कठोरता का परिचय देना होगा। यह इसलिए और भी आवश्यक है, क्योंकि कनाडा में सक्रिय खालिस्तानी चरमपंथी सरकारी संरक्षण के चलते बेलगाम हैं। भारत को केवल कनाडा में खालिस्तानी आतंकियों और अलगाववादियों की सक्रियता को लेकर ही सतर्क नहीं रहना होगा। उसे ऐसी ही सतर्कता ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और अमेरिका को लेकर भी दिखानी होगी।

इन देशों में खालिस्तानी चरमपंथी जिस तरह सक्रिय हैं और खुलेआम भारत को धमकी देते रहते हैं, उससे यदि कुछ पता चलता है तो यही कि ये देश भारतीय हितों के खिलाफ काम करने वाले तत्वों की जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं। क्या इसमें कोई संदेह है कि अमेरिका खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू को संरक्षण देने में वैसी ही ढिठाई का परिचय दे रहा है, जैसे कनाडा?