मलेरिया से पिछले साल दुनिया में 6.2 लाख लोगों की मौत, जलवायु परिवर्तन से बन रहा मच्छरों के अनुकूल माहौल
साल 2021 में दुनिया भर में लगभग 24.7 करोड़ लोगों को मलेरिया से जूझना पड़ा। 2020 में 24.5 करोड़ लोग मलेरिया की चपेट में आये थे। 2019 में लगभग 23.2 करोड़ लोगों को मलेरिया से जूझना पड़ा था।
नई दिल्ली, जागरण प्राइम । जलवायु परिवर्तन से बाढ़, भीषण गर्मी, असमय बारिश जैसी प्राकृतिक आपदाएं ही नहीं बढ़ीं, बल्कि इसने इन्सानों के लिए और भी कई मुश्किलें बढ़ाई हैं। मेडिकल पत्रिका 'द लैंसेट' की एक रिपोर्ट के मुताबिक बदलती जलवायु के चलते पूरी दुनिया में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल माहौल बन रहा है। उनकी प्रजनन दर बढ़ी है और ज्यादा आक्रामक होने के चलते वे ज्यादा काटने भी लगे हैं। आने वाले दिनों में मच्छरों से होने वाली बीमारियां तेजी से बढ़ने की आशंका है। इसकी पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इस साल की वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट से भी होती है। इसके मुताबिक दुनिया में मच्छर से फैलने वाली बीमारी, मलेरिया की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है।
साल 2021 में दुनिया भर में लगभग 247 मिलियन लोगों को मलेरिया से जूझना पड़ा। 2020 में 24.5 करोड़ लोगों को मलेरिया से जूझना पड़ा। 2019 में 23.2 करोड़ लोगों को मलेरिया से जूझना पड़ा था। साल 2021 में मलेरिया के चलते पूरी दुनिया में लगभग 619000 लोगों की जान चली गई। 2020 में भी इससे लगभग 625000 लोगों की मौत हुई थी। WHO की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक डेंगू के मामलों की संख्या पिछले दो दशकों में 8 गुना से अधिक बढ़ गई है। 2000 में जहां पूरी दुनिया में डेंगू के 505,430 मामले दर्ज किए गए थे वहीं 2010 में लगभग 24 लाख से ज्यादा और 2019 में 52 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2000 और 2015 के बीच डेंगू से होने वाली मौतों की संख्या 960 से बढ़कर 4032 हो गई।
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ता तापमान, बारिश और समुद्र में बढ़ती गर्मी मच्छरों की जनसंख्या बढ़ाने के लिए अनुकूल माहौल तैयार कर रही है। इसके चलते श्रीलंका और दक्षिण भारत के कई इलाकों में मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ेगी। इसके साथ ही डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ेगा। अध्ययन में शामिल असिस्टेंट प्रोफेसर येसिम तोजान के मुताबिक क्लाइमेट चेंज के चलते आने वाले दिनों में मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां जैसे डेंगू, मलेरिया आदि तेजी से फैलेंगी।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च के वैज्ञानिक डॉक्टर हिम्मत सिंह भी कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान बढ़ा है। इससे पूरी दुनिया में मच्छरों के लिए अनुकूल माहौल बना है। मच्छरों के प्रजनन के अनुकूल इलाके भी बढ़े हैं। उन्होंने बताया कि गर्मी बढ़ने से मच्छरों का जीवन चक्र तेज हो जाता है। अंडे से एक वयस्क मच्छर बनने में कम समय लगता है। ऐसे में लोगों को महसूस होता है कि उन्हें ज्यादा मच्छर काटने लगे हैं।
डॉ. सिंह के अनुसार यह बड़ी गंभीर स्थिति है। अब ऐसे इलाकों में भी मच्छर मिलने लगे हैं जहां पहले ज्यादा ठंड के चलते नहीं मिलते थे। ये क्लाइमेट चेंज का ही असर है। सबसे बड़ा खतरा यह है कि एडीज या टाइगर मच्छर पर तो मौसम का भी बहुत असर नहीं होता। ये घरों में पलते हैं। ज्यादा बारिश होने से जगह जगह इनके पनपने की आशंका बढ़ जाती है। ये मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के वाहक हैं।
गर्मी बढ़ने से बढ़ता है संक्रमण
न्यूयॉर्क स्थित बार्ड सेंटर फॉर इनवायरमेंट पॉलिसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक गर्म तापमान मच्छरों को अधिक भूखा बनाता है। तापमान अधिक होने से मच्छर जो खून चूसता है उसे तेजी से पचा सकता है। ऐसे में उन्हें ज्यादा भूख लगती है और वो बार बार लोगों को काटते हैं। वहीं दूसरी तरफ एक वायरस को मच्छर के अंदर पूरी तरह से पनपने के लिए आमतौर पर 10 दिन लगते हैं। वहीं गर्म तापमान होने पर ये वायरस 5-7 दिनों में ही पूरी तरह से संक्रमण फैलाने के लिए तैयार होता है। ऐसे में तापमान बढ़ने से संक्रमण तेजी से फैलता है।
22 वायरस फैलाता है एडीज
एशियन टाइगर मच्छर का वैज्ञानिक नाम एडीज अल्बोपिक्टस (Aedes Albopictus) है। यह दक्षिण पूर्वी एशिया के ट्रॉपिकल और सब-ट्रॉपिकल इलाकों में पाया जाता है। इसलिए इसे जंगली मच्छर भी कहते हैं। हमारे घरों के आसपास घनी झाड़ियों या घास में ये आसानी से दिख जाता है। पिछले कुछ सालों से यह खतरनाक मच्छर यूरोप के कई देशों में भी देखा जा रहा है है। अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक एशियन टाइगर मच्छर 22 तरह के वायरस का हमला करने में सक्षम है। ये मच्छर मौसम और तापमान के मुताबिक अपने आप को ढाल भी लेता है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया में हर साल 40 करोड़ लोग डेंगू से प्रभावित होते हैं। भारत में भी इस समय बड़ी संख्या में लोग डेंगू से जूझ रहे हैं। हाल ही आई रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान और आर्द्रता में आने वाले बदलावों से पैथोजेनिक बीमारियां जैसे कि इंफ्लुएंजा, खसरा, कोरोना, डेंगू, मलेरिया आदि का संक्रमण 58 फीसद और तेजी से बढ़ेगा। एशियन टाइगर मच्छर को सबसे खतरनाक मच्छर कहा जा सकता है। दरअसल इसके अंडे साल भर तक मिट्टी या किसी जगह पर पड़े रह सकते हैं और बारिश में या पानी मिलने पर इसमें से लारवा निकल आते हैं। इसे सबसे आक्रामक मच्छर भी माना जाता है। ये काफी तेज और एक साथ कई बार डंक मारने के लिए भी जाना जाता है। दरअसल ये मच्छर किसी इंसान से काफी मात्रा में खून लेकर किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में वायरस पहुंचा सकता है। डेंगू, चिकनगुनिया, यलो फीवर, जीका वायरस और वेस्ट नाइल वायरस से होने वाली बीमारियां ज्यादातर ये मच्छर ही फैलाता है। ये मच्छर अंधेरे का इंतजार नहीं करता है। ये दिन में भी डंक मारता है।
मच्छरों से होने वाले रोग बढ़े
जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य 2019 रिपोर्ट में द लैंसेट ने खुलासा किया था कि पिछले कुछ वर्षों में मच्छरों से होने वाले रोगों (मलेरिया और डेंगू) में वृद्धि हुई है। अध्ययनों से पता चलता है कि दक्षिण एशिया के ऊंचे पहाड़ों में ज्यादा बारिश और बढ़ते तापमान के चलते संक्रामक बीमारियां तेजी से फैली हैं। ज्यादा बारिश के चलते इन पहाड़ी इलाकों में मच्छरों को प्रजनन में मदद मिली है। ICMR के सेंटर ऑफ एक्सिलेंस फॉर क्लाइमेट चेंज एंड वेक्टर बॉर्न डिजीज के प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर रहे डॉक्टर रमेश धीमान बताते हैं कि जल जनित और वेक्टर जनित रोग पैदा करने वाले रोगजनक जलवायु के प्रति संवेदनशील होते हैं। मच्छरों, सैंड फ्लाई, खटमल जैसे बीमारी फैलाने वाले कीटों का विकास और अस्तित्व तापमान और आर्द्रता पर निर्भर करता है। ये रोग वाहक मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी एन्सेफलाइटिस, कालाजार जैसी बीमारी बहुत तेजी से फैला सकते हैं। आने वाले समय में ये देखा जा सकता है कि कुछ इलाके जहां पर कोई विशेष संक्रामक बीमारी नहीं थी, जलवायु परिवर्तन के चलते अचानक से बीमारी फैलने लगे। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव एक समान नहीं होगा क्योंकि विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में अलग-अलग विशेषताएं होती हैं।
उदाहरण के लिए, भारत में हिमालयी क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील है क्योंकि तापमान में वृद्धि के कारण ठंडे तापमान वाले क्षेत्र मलेरिया और डेंगू के लिए उपयुक्त हो गए हैं। देश का दक्षिणी भाग कम प्रभावित होने की संभावना है क्योंकि यह लगभग सभी 12 महीनों के लिए पहले से ही वेक्टर जनित रोगों के लिए जलवायु उपयुक्त है।
मच्छरों से बचने के लिए क्या करें
मच्छरों से बचने के लिए अपने घर के आसपास सफाई रखें। पानी न इकट्ठा होने दें। घर में अगर मच्छर दिखे तो इंसेक्टीसाइड का इस्तेमाल करें। मच्छर दानी में सोएं। कपड़ों से शरीर को ढक कर रखें। मॉस्किटो रिपेलेंट क्रीम का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
डॉक्टर नरेंद्र सैनी कहते हैं कि डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया तीनों का इलाज संभव है। अगर आपको तेज बुखार आता है, ठंडी लगे, सिर में दर्द हो, आंखों में दर्द हो, जोड़ों में दर्द हो, स्वाद का पता न चले, भूख न लगे, कमजोरी लगे, सीने पर या बदन पर दाने हो जाएं, चकत्ते हो जाएं, चक्कर आए, जी घबराए या उल्टी आए तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।