प्राइम टीम, नई दिल्ली। भारत अभी निम्न-मध्य आय वर्ग का देश है और इसका सपना एक समृद्ध और विकसित देश बनना है। समावेशी विकास इस मंजिल तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार विकास समाज के हर वर्ग, गांव-शहर और छोटे-बड़े उद्योग सबके लिए होना चाहिए। इसके बिना विकास स्थायी नहीं होगा। शुरुआत क्वालिटी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से करनी पड़ेगी, क्योंकि अशिक्षित और अस्वस्थ समाज विकसित राष्ट्र का निर्माण नहीं कर सकता। कृषि में लगी देश की 45% वर्कफोर्स को कम करने के लिए उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है। इस वर्कफोर्स को खपाने के लिए इकोनॉमी में संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ानी पड़ेगी और मैन्युफैक्चरिंग एमएसएमई को बढ़ावा देना होगा। प्रोडक्टिविटी और रोजगार बढ़ाने में स्टार्टअप की क्षमता को देखते हुए उन पर फोकस भी जरूरी है। युवा आबादी के कारण भारत अभी डेमोग्राफिक डिविडेंड की स्थिति में है, लेकिन सिर्फ 51% वर्कफोर्स एंप्लॉयबल है। इसलिए स्किल डेवलपमेंट अहम हो जाता है। ‘विकसित’ श्रेणी में जाने के लिए प्रति व्यक्ति आय के साथ ह्यूमन डेवलपमेंट के तमाम मानकों में छलांग लगानी पड़ेगी। इन उपायों से मजबूत मध्य वर्ग तैयार होगा जो किसी भी देश को विकसित बनाने के लिए जरूरी है। लेकिन जैसा कि नीति आयोग ने ‘विजन फॉर विकसित भारत @ 2047 एन अप्रोच पेपर’ में लिखा है, बड़ी चुनौती मिडल इनकम ट्रैप से बचने की है। इस ट्रैप में फंसने के कारण अनेक देश मध्य आय वर्ग से उच्च आय वर्ग में नहीं जा सके। पिछले 70 वर्षों के दौरान मुश्किल से एक दर्जन मध्य आय वर्ग के देश विकसित श्रेणी में जाने में सफल हुए हैं।

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