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Ghaziabad AQI: सिस्टम की लापरवाही सांसों पर भारी, गाजियाबाद में पांच साल में केवल 52 दिन मिली शुद्ध हवा

पिछले पांच सालों में गाजियाबाद में केवल 52 दिन ही साफ हवा मिली है। बाकी दिनों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक मध्यम खराब बेहद खराब और गंभीर श्रेणी में रही है। गंभीर श्रेणी की हवा मनुष्य के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होती है। इस श्रेणी की हवा में सांस व दमा के मरीजों को सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है।

By Rahul Kumar Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Thu, 19 Sep 2024 12:34 PM (IST)
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गाजियाबाद में शुद्ध हवा के लिए तरसे लोग। फोटो- जागरण अर्काइव

राहुल कुमार, साहिबाबाद। सिस्टम की लापरवाही से वायु प्रदूषण लोगों की सांसों पर वार कर रहा है। तमाम योजनाओं के दावे के बाद भी अधिकारी प्रदूषण रोकने में फेल साबित हो रहे हैं। उसी का नतीजा है कि बीते करीब चार वर्ष, आठ माह में केवल 52 दिन ही साफ हवा मिल सकी। बाकी दिन लोग शुद्ध हवा के लिए तरसे रहे।

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के क्षेत्रीय अधिकारियों ने वर्ष 2020 से लेकर अगस्त 2024 तक यानी बीते 1705 दिन की रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट के अनुसार, कुल दिनों के सापेक्ष लोगों को तीन प्रतिशत दिन ही साफ हवा मिल सकी।

बाकी दिन लोगों को संतोषजनक, मध्यम, खराब, बेहद खराब व गंभीर श्रेणी की हवा में ही रहना पड़ा। सबसे अधिक 609 दिन हवा मध्यम श्रेणी में रही। इसके बाद 449 दिन लोगों को खराब व 277 दिन बेहद खराब हवा में रहना पड़ा।

वर्ष 2020 व 2021 में सबसे ज्यादा गंभीर श्रेणी में रही हवा

बीते पांच वर्ष की तुलना करें तो वर्ष 2020 व 2021 में हवा सबसे ज्यादा दिन गंभीर श्रेणी में रही है। वर्ष 2020 में 24 दिन तो वर्ष 2021 में 22 दिन हवा गंभीर श्रेणी में रही। गंभीर श्रेणी की हवा मनुष्य के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होती है। इस श्रेणी की हवा में सांस व दमा के मरीजों को सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है।

हॉट स्पॉट से भी नहीं रुका प्रदूषण 

बीते वर्ष प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए सर्वे कर सात हॉट स्पॉट चिह्नित किए थे। सर्वे में साहिबाबाद, राजनगर एक्सटेंशन, लोनी, भोपुरा-दिल्ली बार्डर, साउथ साइट जीटी रोड, संजय नगर व सिद्धार्थ विहार अधिक प्रदूषित क्षेत्र पाए गए थे। अधिकारियों का दावा था कि इन इलाकों में कार्रवाई कर प्रदूषण रोका जा रहा है। इसके बाद भी बीते वर्ष केवल 10 दिन ही साफ हवा मिली।

जिले में ये हैं प्रदूषण के मुख्य कारण

  • अवैध फैक्ट्रियों का संचालन।
  • ई-वेस्ट जलाकर धातु निकालना।
  • टूटी सड़कों से उड़ती धूल।
  • निर्माण गतिविधियां।
  • उम्र पूरी कर चुके वाहनों का संचालन।

वर्ष 2020 के बाद कितने दिन किस श्रेणी में रही हवा की स्थिति

        श्रेणी         कुल दिन

  • साफ            52
  • संतोषजनक   267
  • मध्यम         609
  • खराब          449
  • बेहद शराब   277
  • गंभीर            51

प्रदूषण रोकथाम के लिए संबंधित विभागों के साथ समन्वय कर कार्य किया जा रहा है। पर्यावरण फैलाने वालों पर कार्रवाई की जा रही है।  -विकास मिश्र, क्षेत्रीय अधिकारी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।