जागरण संपादकीय: मार्ग दुर्घटनाओं पर रोक, ठेकेदारों को दंडित करने का निर्णय
ऐसा किया जाना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि जैसे-जैसे राजमार्गों, हाईवे, एक्सप्रेसवे आदि का निर्माण होता जा रहा है, वैसे-वैसे मार्ग दुर्घटनाओं और उनमें मरने एवं घायल होने वालों की संख्या भी बढ़ती चली जा रही है। अब तो यह संख्या विश्व में सबसे अधिक हो चुकी है। यह स्थिति तब है जब भारत में अन्य देशों के मुकाबले कहीं कम वाहन हैं।
HighLights
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्गों के किसी एक हिस्से पर एक वर्ष में एक से अधिक दुर्घटनाओं के लिए ठेकेदारों को दंडित करने का जो निर्णय लिया है, उसकी सार्थकता तभी है जब दुर्घटनाओं पर लगाम लगेगी। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार बिल्ड-आपरेट-ट्रांसपोर्ट अर्थात बीओटी माडल के तहत बनाई जाने वाली सड़कों पर दुर्घटनाएं रोकने की जिम्मेदारी ठेकेदारों पर होगी।
उन्हें राजमार्गों के दुर्घटना बहुल क्षेत्रों में दुर्घटनाएं कम करने के लिए जवाबदेह बनाने की जैसी पहल की जा रही है, कुछ वैसी ही पहल इसके पहले भी की जा चुकी है, लेकिन उसके कोई बहुत अधिक सकारात्मक परिणाम नहीं निकले। इस तथ्य की अनदेखी नहीं की जा सकती कि मंत्रालय ने देश भर में 3,500 से अधिक दुर्घटना बहुल क्षेत्रों की पहचान की है।
आखिर हमारे राजमार्गों पर इतने अधिक दुर्घटना बहुल क्षेत्र क्यों हैं और उन्हें अभी तक ठीक क्यों नहीं किया जा सका-और वह भी तब जब इसके लिए एक अभियान चलाया गया था? प्रश्न यह भी है कि क्या ऐसे उपाय कर लिए गए हैं, जिससे राजमार्गों के निर्माण में यह सुनिश्चित किया जाए कि दुर्घटना बहुल क्षेत्र बनने की गुंजाइश ही न रहे?
इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि अपने देश में सड़कों के निर्माण में दोषपूर्ण डिजाइनिंग और खराब इंजीनियरिंग के उदाहरण मिलते ही रहते हैं। राजमार्गों पर दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण सड़कों की डिजाइन सही न होना है। इसी सही डिजाइन के अभाव में उनमें दुर्घटना बहुल क्षेत्र बन जाते हैं।
बीओटी माडल के तहत बनने वाली सड़कों पर दुर्घटनाएं रोकने की जो जिम्मेदारी ठेकेदारों पर डाली गई, उसके संदर्भ में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि यह कैसे तय होगा कि किसी दुर्घटना के लिए कौन जिम्मेदार है? यदि ठेकेदार दुर्घटना की जिम्मेदारी वाहन चालकों पर डाल देते हैं तो फिर यह नई पहल प्रभावी कैसे होगी?
इसी तरह एक प्रश्न यह भी उठता है कि बीओटी माडल के अतिरिक्त जिन अन्य व्यवस्थाओं के तहत राजमार्गों का निर्माण होता है, उनमें दुर्घटनाएं रोकने की जिम्मेदारी किसकी होगी? यह समय की मांग है कि ऐसे सभी प्रश्नों का उत्तर सामने आए और हर स्तर पर ऐसे उपाय किए जाएं जिनसे सड़क हादसों पर लगाम लगे।
ऐसा किया जाना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि जैसे-जैसे राजमार्गों, हाईवे, एक्सप्रेसवे आदि का निर्माण होता जा रहा है, वैसे-वैसे मार्ग दुर्घटनाओं और उनमें मरने एवं घायल होने वालों की संख्या भी बढ़ती चली जा रही है। अब तो यह संख्या विश्व में सबसे अधिक हो चुकी है। यह स्थिति तब है जब भारत में अन्य देशों के मुकाबले कहीं कम वाहन हैं।













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