विदेशी बंदरगाहों से भारत मजबूत करेगा डिप्लोमेटिक नेटवर्क, यूरोप, मध्य एशिया और ग्लोबल साउथ में बढ़ेगा दबदबा
पिछले एक महीने से कुछ अधिक समय में भारत ने अपनी समुद्री सीमा के दोनों तरफ तीन बंदरगाहों का कामकाज अपने हाथों में लिया है। ईरान का चाबहार बांग्लादेश का मंगला और म्यांमार का सितवे। इनसे भारत को विदेश व्यापार बढ़ाने में तो मदद मिलेगी ही ये बंदरगाह रणनीतिक लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं। इससे भारत को अपने समुद्र तट और एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
एस.के. सिंह/अनुराग मिश्र, नई दिल्ली। पिछले एक महीने से कुछ अधिक समय में भारत ने अपनी समुद्री सीमा के दोनों तरफ तीन बंदरगाहों का कामकाज अपने हाथों में लिया है। ईरान का चाबहार, बांग्लादेश का मंगला और म्यांमार का सितवे। इनसे भारत को विदेश व्यापार बढ़ाने में तो मदद मिलेगी ही, ये बंदरगाह रणनीतिक लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं। इस कदम से भारत को अपने 7500 किलोमीटर लंबे समुद्र तट और करीब 20 लाख वर्ग किमी एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। इसे भारत के पड़ोसी देशों में चीन की बढ़ती मौजूदगी की काट के तौर पर भी देखा जा रहा है। हिंद महासागर क्षेत्र में हाल के वर्षों में चीन ने अपनी मौजूदगी कितनी बढ़ाई है, इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि चाइनीज कंपनियां इस समय दक्षिण एशिया में सात और हिंद महासागर क्षेत्र में 17 बंदरगाहों के प्रबंधन का काम देख रही हैं।