चीन की ‘डंपिंग’ और जासूसी से खफा यूरोपीय देश, जिनपिंग के लिए उनके साथ रिश्ते सुधारना मुश्किल
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन अमेरिकी चुनाव को लेकर काफी चिंतित है। अगर डोनाल्ड ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं तो चीन के साथ ट्रेड वॉर फिर शुरू हो सकती है। इसलिए जिनपिंग नहीं चाहते कि यूरोप के साथ रिश्ते खराब हों। यूरोप चीन के खिलाफ डंपिंग की जांच कर रहा है। चीन के जासूसी कांड ने जर्मनी स्वीडन नीदरलैंड बेल्जियम और ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देशों को नाराज किया है।
एस.के. सिंह, नई दिल्ली। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस समय यूरोप के तीन देशों के दौरे पर हैं। उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और यूरोपियन कमीशन की प्रेसिडेंट उर्सुला वॉन डेर लियेन से मुलाकात की है। इसके बाद वे सर्बिया और हंगरी भी जाएंगे। इससे पहले जिनपिंग 2019 में यूरोप गए थे और तब उनका भव्य स्वागत हुआ था। इस बार स्वागत तो फीका है ही, यूरोप और चीन के संबंध भी पांच साल में काफी बदल गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन, अमेरिकी चुनाव को लेकर काफी चिंतित है। अगर डोनाल्ड ट्रंप दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं तो चीन के साथ ट्रेड वॉर फिर शुरू हो सकती है। इसलिए जिनपिंग नहीं चाहते कि यूरोप के साथ रिश्ते खराब हों। यूरोप चीन के खिलाफ डंपिंग की जांच कर रहा है। हाल में चीन के जासूसी कांड ने जर्मनी, स्वीडन, नीदरलैंड, बेल्जियम और ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देशों को नाराज किया है। इटली उसके बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) से बाहर हो गया है क्योंकि उसे उसमें कोई आर्थिक लाभ नजर नहीं आया।