दिव्य कुमार सोती। बीते दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान सर क्रीक क्षेत्र में निरंतरअपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है और उसके किसी भी दुस्साहस का उत्तर ऐसे दिया जाएगा कि इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे। इसके कुछ ही दिनों के अंतराल पर सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि अगर पाकिस्तान ने आतंकवाद का समर्थन करना नहीं छोड़ा तो भारत अगली बार वैसा संयम नहीं दिखाएगा, जैसा उसने आपरेशन सिंदूर के समय दिखलाया था और पाकिस्तान को विश्व मानचित्र से मिटना भी पड़ सकता है। उन्होंने सैनिकों से अगले संघर्ष के लिए तैयार रहने को भी कहा।

भारत की ओर से आम तौर पर ऐसे बयान कम ही आते हैं। इसका अर्थ है कि सरकार के पास पाकिस्तान द्वारा रची जा रही आतंकवादी साजिश की बड़ी सूचना है, जिसके चलते रक्षा मंत्री और सेनाध्यक्ष ने एक के बाद एक बयान जारी कर पाकिस्तान को चेताया है। इससे पहले पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर अमेरिका के दो बार दौरे कर चुके हैं और दोनों बार उन्हें व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विशेष आवभगत और समय मिला है।

मुनीर ने अमेरिकी धरती से भारत को धमकाने का अप्रत्याशित काम भी किया। मुनीर के दौरे के कुछ दिन बाद ही पाकिस्तानी फौज के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने भारत को धमकाते हुए कहा था कि इस बार किसी सैन्य टकराव की स्थिति में पाकिस्तान भारत के पूर्वी भाग को निशाना बनाने से शुरुआत करेगा। सवाल उठता है कि जब आपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान की मिसाइलें सिरसा और हिसार तक नहीं पार कर पाई थीं, तब वे भला पूर्वी भारत तक कैसे पहुंच सकेंगी? इसका जवाब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख और अमेरिकी डीप स्टेट की कठपुतली माने जाने वाले मोहम्मद यूनुस की व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ मुलाकात में मिला। पाकिस्तान की तरह एक समय यूनुस को लेकर कुपित रहने वाले ट्रंप का रवैया उनके प्रति भी एकाएक बदला दिखाया था।

यूनुस ने अमेरिका में अपने भारत विरोधी तेवर ही दिखाए। इससे सहज ही समझा जा सकता है कि पाकिस्तान किसके कंधे पर बंदूक रखकर पूर्वोत्तर भारत को निशाना बनाने की मंशा रखता है। इस बीच कुछ सवाल भी उठते हैं कि क्या अमेरिका इसकी गुंजाइश देगा कि बांग्लादेश में अपनी कठपुतली सरकार का फायदा पाकिस्तान उठाए? क्या पाकिस्तान ने भारत की पूर्वी सीमाओं के पास कोई ड्रोन बेस या आतंकी अड्डा तैयार किया है, जिसके बल पर वह बार-बार भारत के पूर्वी भाग को निशाना बनाने की धमकी दे रहा है?

संभव है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अमेरिका भारत के खिलाफ कोई खिचड़ी पका रहे हों। याद रहे कि जब आपरेशन सिंदूर शुरू हुआ तो अमेरिका को लगा था कि बालाकोट की तरह ही भारत की कार्रवाई सीमित रहेगी और कुछ घंटों में ही सब सामान्य हो जाएगा, परंतु जब पाकिस्तान ने भारत के नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की तो भारत ने अमेरिका द्वारा उपयोग किए जा रहे पाकिस्तानी एयरबेसों को भी नहीं छोड़ा। अमेरिका अब इस अपमान का बदला लेना चाहता है। इस संदर्भ में राष्ट्रपति ट्रंप का यह बयान अनायास नहीं है कि अमेरिकी सेनाओं को अफगानिस्तान का बगराम एयरबेस फिर से वापस चाहिए। ट्रंप ने अफगानिस्तान को यह धमकी भी दी कि अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसके साथ बुरी घटनाएं घट सकती हैं।

चीन की गतिविधियों पर तो अमेरिका पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस से भी नजर रख सकता है, परंतु अब उसे अफगानिस्तान में एयरबेस इसलिए चाहिए ताकि भारत द्वारा पाकिस्तानी एयरबेसों पर हमले की स्थिति में पाकिस्तान की सहायता जारी रख सके। अपने सैन्य साजोसामान को पाकिस्तानी बेसों से हटाकर बगराम ले जा सके और सबसे महत्वपूर्ण यह कि चीन के साथ-साथ भारतीय सैन्य गतिविधियों पर भी नजर रख सके और जरूरत पड़ने पर ईरान पर हमले के लिए भी उसका उपयोग कर सके। पाकिस्तान ने भी इन अमेरिकी आवश्यकताओं की पूर्ति का तरीका खोज लिया है। मुनीर ने ट्रंप को पाकिस्तान के पासनी बंदरगाह को विकसित करने का न्योता दिया है। पासनी चीन द्वारा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के अंतर्गत अरबों डालर खर्च कर विकसित किए गए बलूचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से मात्र सौ किलोमीटर दूर है और वर्ष 2011 से रेत भरने की समस्या से ग्रस्त है।

पाकिस्तान को लगता है कि चीन को रोकने के लिए सीआइए कहीं न कहीं बलूच विद्रोहियों का साथ दे रही है। ऐसे में पासनी के जरिये खुशामद से खुश अमेरिका शायद बलूच विद्रोहियों से समर्थन पीछे खींच ले और पासनी में बैठकर भारत और चीन दोनों पर नजर रख सके। मुनीर को लगता है कि इस कवायद से चीन और अमेरिका के साथ पाकिस्तान के रिश्तों में संतुलन बनाया जा सकता है।

अमेरिका और चीन दोनों का पाकिस्तान में निवेश बढ़ने से भारत को पाकिस्तान के विरुद्ध अधिक आक्रामक कार्रवाई से भी रोका जा सकता है। इस रणनीति से उत्पन्न अतिआत्मविश्वास से मुनीर अब सर क्रीक के पास सैन्य जमावड़ा बढ़ा रहे हैं और जामनगर स्थित विश्व की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी पर हमले की धमकी दे रहे हैं। इस धमकी में आवाज केवल मुनीर की है, लेकिन उसकी पटकथा उन अमेरिकियों की लिखी हुई है जो चाहते हैं कि रिलायंस जैसी भारतीय कंपनियां रूस से तेल खरीदना बंद कर अमेरिका से तेल आयात बढ़ाए।

इस सबके बीच में यह देखना होगा कि पाकिस्तान को अमेरिका के पाले में जाते देख चीन का उसके प्रति क्या रवैया रहेगा। चीन भारत को बड़ी शक्ति मानकर साथ-साथ चलना चाहेगा या अमेरिका के साथ जी-2 अवधारणा, जिसके अंतर्गत अमेरिका और चीन द्वारा वैश्विक शक्ति को आपस में बांटने का सोच है, पर आगे बढ़ेगा। अगर जी-2 की अवधारणा आगे बढ़ती है तो भारत के लिए आने वाला समय कठिन होगा। किसी भी सूरत में पाकिस्तान से भविष्य का युद्ध और अधिक बड़ा एवं व्यापक होने वाला है।

(लेखक काउंसिल आफ स्ट्रैटेजिक अफेयर्स से संबद्ध सामरिक विश्लेषक हैं)