मोदी के दौरे से यूरोप को जाएगा सकारात्मक संदेश, शांतिदूत की भूमिका के साथ ग्लोबल साउथ के लीडर की दावेदारी होगी मजबूत
दुनिया भर में भारत की पीस डिप्लोमेसी को मजबूती मिलेगी वहीं ग्लोबल साउथ के लीडर के तौर पर भी एक सशक्त छवि उभरेगी। यूरोप और रूस के बीच चल रही तनातनी के इस दौर में भारत दोनों के बीच एक सेतु का काम कर सकता है। इससे वैश्विक स्तर पर संतुलन बनेगा और पश्चिम का दबाव कम होगा जो भारत के तटस्थ रुख का आलोचक रहा है।
नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन और पौलेंड की यात्रा पर है। वैश्विक स्तर पर इस दौरे के कई आयाम देखे जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों का कहना है कि इससे दुनिया भर में भारत की पीस डिप्लोमेसी को मजबूती मिलेगी, वहीं ग्लोबल साउथ के लीडर के तौर पर भी एक सशक्त छवि के तौर पर उभर कर सामने आएगा। यूरोप और रूस के बीच चल रही तनातनी के इस दौर में भारत दोनों के बीच एक सेतु का काम कर सकता है। इससे वैश्विक स्तर पर संतुलन बनेगा और शायद इससे पश्चिम का दबाव कम हो जाएगा जो भारत के तटस्थ रुख का आलोचक रहा है। भारत शांति के लिए सीमित योगदान भी दे पाता है, तो इससे और वैश्विक स्तर पर भारत और मोदी का कद भी ऊंचा होगा।