जी-20 शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में भारतीय प्रधानमंत्री ने ड्रग्स तस्करी को बड़ी चिंता का विषय बताते हुए यह जो कहा कि आतंकवाद की कमर तोड़ने के लिए ड्रग्स तस्करों के नेटवर्क पर करारी चोट की आवश्यकता है, उससे इस संगठन के सदस्य देशों को न केवल सहमत होना चाहिए, बल्कि इस दिशा में कार्य करने के लिए संकल्पबद्ध भी होना चाहिए।

अब यह किसी से छिपा नहीं कि मादक पदार्थों के अवैध कारोबार से अर्जित होने वाला धन गैर-कानूनी गतिविधियों में खपाया जाता है। इस पैसे का सबसे अधिक इस्तेमाल माफिया तत्व एवं आतंकी समूह करते हैं। दुनिया भर के आतंकी गुट खुद को संगठित करने और हथियार जुटाने के लिए आमतौर पर मादक पदार्थों की तस्करी में भी लिप्त रहते हैं। यह एक ऐसा तथ्य है, जिससे कोई भी देश अनजान नहीं हो सकता।

चिंता की बात यह है कि कुछ देश ऐसे भी हैं, जो न केवल ड्रग्स तस्करी में शामिल तत्वों की मदद करते हैं, बल्कि आतंकी समूहों को भी संरक्षण एवं सहयोग देते हैं। ड्रग्स तस्करों और आतंकी समूहों के बीच के गठजोड़ ने जो खतरा पैदा कर दिया है, उसका सामना विभिन्न देश मिलकर ही कर सकते हैं। यदि जी-20 जैसे संगठन अपनी सार्थकता साबित करना चाहते हैं तो उन्हें उन चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होना ही होगा, जो बढ़ती ही चली जा रही हैं।


जी-20 देशों को ड्रग्स नेटवर्क पर चोट करने का काम इसलिए अपने हाथ में लेना चाहिए, क्योंकि यह आसानी से किया जा सकता है। इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि जी-20 सम्मेलन के साझा घोषणापत्रों में जिन समस्याओं से निपटने की आवश्यकता जताई जाती है, उन पर कोई ठोस काम कठिनाई से ही हो पाता है। जिन मुद्दों को सुलझाना आसान है, वे जी-20 का एजेंडा बनें तो इस संगठन की छवि भी निखरेगी।

मादक पदार्थों के काले कारोबार पर रोक लगाने के लिए साझा प्रयास इसलिए तेज किए जाने चाहिए, क्योंकि यह काम कोई एक देश अकेले नहीं कर सकता और यह सब जानते हैं कि साझा कार्रवाई के अभाव में ड्रग्स तस्करों का दुस्साहस बढ़ता चला जा रहा है। यह देखने को मिल रहा है कि अब नए-नए और कहीं अधिक घातक मादक पदार्थों को निर्मित कर उनकी तस्करी की जा रही है।

उदाहरणस्वरूप फेंटानाइल नामक बेहद घातक माना जाने वाला मादक पदार्थ तेजी से फैल रहा है। अभी इससे अमेरिका ही बुरी तरह प्रभावित है, लेकिन आशंका है कि आने वाले समय में ड्रग्स तस्कर इसे अन्य देशों में भी पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। जी-20 देश ड्रग्स तस्करी पर रोक लगाने के साथ भारतीय प्रधानमंत्री की ओर से रेखांकित किए गए एआइ के दुरुपयोग को रोकने के मामले में भी सक्रिय हों तो बेहतर, क्योंकि यह भी एक कटु सच्चाई है।