दिल्ली क्राइम ब्रांच की ओर से पाकिस्तान से जुड़े हथियार तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ किए जाने पर हैरानी नहीं। पाकिस्तान यह काम पहले से कर रहा है। अभी तक वह ड्रोन के जरिये पंजाब में मादक पदार्थों के साथ जो हथियार भेजता था, वे खालिस्तान समर्थक आतंकियों के लिए होते थे।

अब पता चल रहा है कि वह गैंगस्टरों को भी हथियार भेज रहा है। इसका निष्कर्ष यही है कि पाकिस्तान भारत को अशांत और अस्थिर करने का काम कहीं अधिक बड़े पैमाने पर हरसंभव तरीके से कर रहा है। वह केवल नशीले पदार्थ और हथियार ही नहीं भेज रहा है, बल्कि मुस्लिम युवकों को मजहबी कट्टरता का पाठ पढ़ाकर उन्हें जिहादी भी बना रहा है।

यह एक तथ्य है कि दिल्ली में लाल किले के निकट आतंकी हमले को अंजाम देने वाले फरीदाबाद माड्यूल के तार पाकिस्तान से जुड़ रहे हैं। इसके पहले अनेक ऐसे आतंकी पकड़े जा चुके हैं, जो पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादी संगठन लश्कर या जैश के इशारे पर जिहादी गतिविधियों में लिप्त थे।

इसकी भी अनदेखी न की जाए कि सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश होती ही रहती है। इसका सीधा मतलब है कि आपरेशन सिंदूर से पस्त पड़े पाकिस्तान का दुस्साहस फिर से चरम पर है। इसका कारण केवल जिहादी सोच वाले जनरल आसिम मुनीर का निरंकुश हो जाना ही नहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से पाकिस्तान की पीठ पर हाथ रख देना भी है।

अब इसमें कोई संदेह नहीं कि पाकिस्तान के बेलगाम होते भारत विरोधी रवैये के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। वे उसी पाकिस्तान की वाहवाही करने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे हैं, जिसे अपने पिछले कार्यकाल में खुद उन्होंने धोखेबाज और आतंकियों को शरण देने वाला बताया था। यदि इस कार्यकाल में अचानक उनका हृदय परिवर्तन हो गया तो इसका कारण उनके अपने निजी स्वार्थ हैं।

वे अमेरिका के बजाय अपने निजी हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं। ट्रंप अपने संकीर्ण स्वार्थों को पूरा करने के लोभ के अलावा इसलिए भी पाकिस्तान के चंगुल में फंस रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपनी झूठी प्रशंसा बहुत भाती है और पाकिस्तानी इसमें माहिर हैं। आतंकवाद को पालने-पोसने और नशीले पदार्थों की तस्करी को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान की तरफदारी कर अमेरिकी राष्ट्रपति केवल भारत के लिए ही संकट नहीं पैदा कर रहे हैं, बल्कि दक्षिण एशिया की शांति को भी खतरे में डाल रहे हैं।

भारत के लिए आवश्यक केवल यह नहीं कि वह पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को अमेरिका के समक्ष उजागर करता रहे, बल्कि पाकिस्तानी सेना, खुफिया एजेंसी आइएसआइ और उनकी ओर से पाले जा रहे आतंकी संगठनों पर दबाव बनाने और साथ ही उन्हें निशाने पर लेने की तैयारी भी करता रहे।